शाहगंज(जौनपुर)। कहते हैं जब सारे दरवाज़े बन्द हो जाते हैं तो ईश्वर कोई न कोई दरवाज़ा खोल देता है।और ज़रिया बनता है इंसान कुछ ऐसा ही मामला जनपद आज़मगढ़ के चनौती देवी के साथ हुआ। चनौती देवी के पति सुभाष की मृत्यु हो चुकी है।वह अपने बेटे रमेश, अनील ,बेटियां अंजली व निशा के साथ ग्राम नैपुरा पोस्ट नसीरुद्दीनपुर तहबरपुर आज़मगढ़ में किसी तरह एक टूटे फूटे जर्जर छप्पर के मकान में रह रही थी।हालात यह थे की बारिश के दिनों में छप्पर से इतने पानी टपकते थे।फर्श पर पानी भर जाता था किसी तरह चनौती देवी अपने बच्चों के साथ रात काटती। यहाँ सवाल यह उठता है एक गाँव मे एक गरीब की ऐसी दुर्दशा और ग्राम प्रधान सहित अन्य जन प्रतिनिधियों की ऐसी उदासीनता जो सारे सिस्टम पर सवाल खड़े करती है। खैर चनौती देवी का दिन ऐसी ही दुर्दशा और संघर्षो से बीतता रहा।और इनकी दुर्दशा की कहानी समाजिक संस्था भारत रक्षा दल के ज़ीशान अहमद खान के पास पहुंची।तो ज़ीशान खान ने तत्काल अपने टीम को उक्त गाँव भेज स्थलीय निरीक्षक करता ततपश्चात उस गरीब के जर्जर छप्पर वाले मकान का नव निर्माण कराया।ज़ीशान खान के द्वारा इस कार्य को पूरे छेत्र में ल...
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