औद्योगिक विकास का फायदा तो सिर्फ मनुष्य वर्ग ही उठा रहा है लेकिन उससे क्षति बाकी सारे प्राणियों की हो रही है चाहे हम वन्यजीवों की बात करें या फिर पेड़ पौधों की बात करें यहां तक कि निर्जीव धरती जल वायु अग्नि और आकाश के तत्व भी उससे प्रदूषित हो रहे हैं । जब से दुनिया में उद्योग क्रांति आई है मिट्टी दूषित होती चली जा रही है उसका उपजा ओपन दूषित केमिकल वेस्ट के मिलने के कारण कम होता चला जा रहा है मिट्टी के दूषित होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है पेड़ों की अंधाधुंध कटाई वनों के अभाव में मिट्टी बरसात में बहकर नदी और फिर उसके बाद नदी से होते हुए समुद्र में पहुंच जाती है जिससे समुद्र को भी अच्छी खासी चोट पहुंची है । एक समुद्र विशेषज्ञ के अनुसार हम आज के समय में 400 टॉर्क ऑन समुद्र में खो चुके हैं, मतलब यह है की यहां जीवन नहीं बचा, दुनिया किस सारे समुद्र में मनुष्य चयनित कचरा जो फेंका जा रहा है उससे जल प्रदूषण और जल जीवो पर हो जो प्रभाव पड़ रहा है वह भी भारी क्षति का कारण है । समुद्र पूरे कार्बन उत्सर्जन को 60% तक सुख तथा पर प्रदूषण के दुष्प्रभावों से उसकी क्षमता घट गई है । अब सोच...
हम वाराणसी और पूर्वांचल के घटना का सबसे तेज़ और सबसे सटीक विश्लेषण करते है,