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किशोरियों के अभिभावक हो जाएं सचेत : दैनिक दर्पण, वाराणसी


Special Report, Varanasi: आज कल मासूम लड़कियों को प्यार के झांसे में फंसाकर कर, भगा ले जाने का फैशन सामान्य होता जा रहा है, जिसमे बदनामी के डर से मां बाप को बाद में समझौता भी करना पड़ जाता है । 
लेकिन स्थिति की गंभीरता को सूक्ष्मता से निरीक्षण करने पर यह निष्कर्ष निकलता है कि ये सिर्फ चन्द महीनों की बात नहीं है, उससे आगे जीवन भर के लिए 'रस्सी पर लगे हुए गांठ' की तरह 'वो कुछ दिनों की बात', साथ चिपक जाती है। 

किशोरावस्था में मन की चंचलता के साथ ऐसे विचार सामान्य है लेकिन साथ ही अभिभावकों के लिए चिंता का विषय, की आखिर करे क्या ?? 

ऐसी ही एक घटना मिर्ज़ामुराद थाना, वाराणसी; में 26 Oct 2022 को पंजीकृत किया गया जिसमें शिवरामपुर की नवासी एक किशोरी के पिता ने अपने बेटी की किसी युवक के साथ लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई, पुलिस द्वारा प्राप्त सूचना के आधार पर नवयुवक अपने ननिहाल में रहता है और किशोरी अभी नाबालिक है।

ऐसी स्थिती में दोष किसका है, किशोर का, किशोरी का या अभिभावक का, यह एक विचार करने योग्य प्रश्न है ? 
और इसका समाधान क्या है ! 

Lock down के बाद से ऑनलाइन सेवाएं की सुलभता बढ़ती चली जाती है और साथ में संसाधन के साथ निजता भी बढ गई और नए युग के बच्चे तो अपनी पूर्व पीढ़ी से ज्यादा समझदार ही रहते है अतः उन पर अंकुश लगाना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है, The Hindu (News paper) के रिपोर्ट में यह बताया गया की लॉक डाउन के बाद Open relationship में 70% की बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिसमे किशोरावस्था के 30% मामले है।

मान लेते है कल को किशोर और किशोरी वापस घर पर आ जाते है बिना प्रशाशन के खोज बिन के ही, ऐसी स्थिती में क्या सब कुछ सामान्य रहेगा ? बिल्कुल नहीं समाज के ताने, और बदनामी के साथ साथ पढ़ाई और सामाजिक प्रतिष्ठा में हानि होना और उसके बाद, सबसे बड़ी बात 'बाद में गृहस्थ जीवन में आने वाली समस्या' से अपने बच्चे को बचाने के लिए सचेत होना पड़ेगा और उनके हर एक छोटे बड़े क्रिया कलापो पर नजर रखनी पड़ेगी, और साथ ही बच्चो को इस मामले में जागरूक करना होगा । 


            Team Dainik Darpan : Editorial 
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