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Showing posts from January 15, 2023

संतुलित विकास और पर्यावरण ! : Special Editorial By Dr. Pramod Srivastava

पर्यावरण की समस्या : दुनिया आज जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ हवा मिट्टी पानी को लेकर चिंतित है। सोऑपी जैसे सम्मेलन से लेकर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय बैठकों में पर्यावरण विमर्श का मुद्दा बन चुका है । इसका कारण यह है कि कोई भी देश ऐसा नही है, जहां पर प्रकृति और पर्यावरण से जुड़े संकट का सामना ना करना पड़ रहा हो। कहीं पानी का संकट है तो कहीं प्रदूषण का कहीं की मिट्टी जहरीली है तो कहीं वनों को नष्ट होने की चिंता है इसलिए हम सबके लिए जरूरी है कि कैसे उस विकास की ओर बढ़ा जाए जिसमें आर्थिक और प्रकृति कि दोनों पहलुओं का संतुलन हो ।  विकास और प्रकृति : यह तो स्वीकारना ही होगा कि एक तरह से विकास विनाशकारी भी बन चुका है, इसमें यह बात स्पष्ट दिखती है कि जबसे विकास आवश्यकताओं पर सीमित न रहकर विलासिता की ओर झुका उसने बड़े विनाश को जन्म दिया। अगर हम नहीं समझते है तो अगली सदी विनाश की होगी। कहीं पानी का संकट होगा तो कहीं शहर डूब रहे होंगे। वैज्ञानिकों के विश्लेषण आ चुके हैं जो कहते हैं कि मिलकर प्रयास हो जिससे पृथ्वी पर दबाव उसकी धारण क्षमता को पार न करें जोशीमठ धारण क्ष

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