वरिष्ठ पत्रकार कृष्णा पंडित की कलम से समय और सता की देन अतीक अहमद की कब्र,नहीं तो कई सफेद पोश के गुमनाम रिश्ते आज भी गुनाहों के साथी सामाजिक पटल पर सच का चेहरा जब अपनी दस्तक देता है तो ना जाने कितने नकाबपोश जिनकी बदले चेहरे कुरूप नजर आते हैं.. गुनाहों की जंजीर से गुनाहों की रिश्ते बड़ी अजीब हैं कुछ सफेद कपड़े पहनकर समय के साथ बदल गए तो कुछ दफना दिए गए लेकिन आज जो अपनी साख और शेखी बघार रहे हैं उनको भी अपने पूर्व के दिन और करतूत याद कर लेनी चाहिए ..! साल था 2016, स्थान था इलाहाबाद। भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद केशव प्रसाद मौर्य पहली बार इलाहाबाद आए थे। जैसे ही शहर उत्तरी से उनका काफिला गुजरा, अप्रैल की दोपहरी में खड़ी भीड़ ने जोर-जोर से नारा लगाना शुरू कर दिया- 'ये केशव नहीं कसाई है, अतीक का सगा भाई है' ये वो भीड़ थी, जो अतीक और केशव के आतंक से त्रस्त थी इलाहाबाद के आस-पास वाले सभी ये जानते हैं कि केशव और अतीक के आज भी कई कारोबार साझे में चल रहे हैँ। दोनों के स्लाटर हाउस वाले धंधे के बारे में हर इलाहाबादी जानता है। ऐसे ही प्लाटिंग, रेत और ठेकेदारी में अतीक के ब...
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