वर्दी जिसके नाम से ही सम्मान भाव व्यक्ति के मन में आ जाना चाहिए आज विपरीत उसके लोगों के जहन में नाम लेते हैं घृणा और जुबान पर गाली आती है ! इतनी साख गिरेगी वर्तमान के यूपी सरकार में किसी ने सोचा भी नहीं होगा भ्रष्टाचार पर प्रहार और नकेल के लिए अपनी अलग छवि रखने वाले यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ इन दिनों भंवर जाल और वर्दी की आड़ में खेल रहे लॉबी का शिकार हो रहे हैं ! ज्यादातर मामले पुलिस की बदनीयती और नकली चेहरा जो समाज की उत्थान और सुरक्षा संरक्षण की दुहाई तो देता है लेकिन करवाई दलालों के इशारे पर और दलाली की मिल रही सौगात पर करता है ! सरकार जिसकी भी हो अक्सर तानाशाही देखने को मिलती है लेकिन भरपूर प्रयोग और दुरुपयोग वर्दी वाले हमेशा से करते रहे हैं किसी भी व्यक्ति के मान-सम्मान से जानबूझकर खिलवाड़ करना उनकी नियति हो चुकी है इनके कारनामे की पोल खोलना भी आज अपराध हो चुका है कलमकार की पैमाना तय कर कैटिगरी डिसाइड कर लिया है सोचते हैं कुछ दल्लों जिनकी वजह से इनकी दाल गल रही है हमेशा गलती रहेगी ! इस गुमान में मत रहना थाना और शहर तुम्हारे हिसाब से नहीं चलने वाला सच बोलने वाले लिखने वाले हमेशा थे और रहेंगे ! पास में बैठ कर चिलगोजर और अपराधियों की संतुलन से तुम खुद को तीमारदार समझते हो यह तुम्हारी भूल है यही तुम्हें सब कुछ भुगतना होगा किसी के आंख में धूल झोंक कर हो सकता है तुम मेडल पा लो और तुम्हारी तरक्की हो जाए लेकिन तुम्हारी करतूत तुम्हारे साए की तरह पीछा करेगी और तुम आने वाली अपनी पीढ़ी को सिर्फ अपने द्वारा किए गए कर्म का हिसाब थोप कर उनके भविष्य को अंधियारा दे जाओगे ! थाने पर बैठा थानेदार सिर्फ अपने क्षेत्र में हो रहे वसूली की काउंटिंग दिन में दो या तीन बार करता है कारखास उसका अहम सिपाही होता है ! वाराणसी के ज्यादातर थाना क्षेत्र की गरीब और लाचार जनता आज परेशान और बदहाल है वजह न्याय के लिए गुहार लगाना और इनके पास जाना भी अपराध हो चुका है कई ऐसे मामले हैं जहां हो रहे गलत काम में दखल देने वाले उनकी नजर में बहुत बड़े अपराधी और षड्यंत्रकारी हो जाते हैं जबकि वर्दी में उनके जैसा षड्यंत्र सामाजिक व्यवस्था में कोई भी नहीं करता ! वर्दी की आड़ में दलाली के साथ-साथ अपराध को भी बखूबी समझते हुए कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ाते हैं शर्म तो इनको एक परसेंट भी नहीं आती सिर्फ किसी बड़ी घटना के बाद आंखें झुक जाती हैं और फोटोशूट होने के कुछ सेकेंड बाद ही वही अपनी पुरानी रवैया के साथ ड्यूटी को बखूबी अंजाम देते हैं ! यह भूल जाते हैं कि कोई भी थाना क्षेत्र इनको अपने क्षेत्र की जनता का सम्मान और सुरक्षा की जिम्मेदारी के लिए ही सौंपी गई है लेकिन जब व्यक्ति निरंकुश और खुद को न्यायालय समझने लगे फिर वहां न्याय मांगना भी बेइमानी होगा ! ज्यादातर मामले जहां लोग पुलिस के पास न्याय के लिए गुहार लगाते हैं वह निपटारा या समझौता सिर्फ पैसे के दम पर ही किया जा रहा है यदि बात नहीं बनती तो मुकदमे की दफा और आईपीसी की धाराओं को बताकर खुद की काबिलियत और पॉवर का एहसास आम आदमी को कराया जा रहा है !
न्यायालय द्वारा लगातार मिल रही फटकार के बावजूद भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे घूसखोर अधिकारी
यदि पुलिस चाहे ले तो क्षेत्र में कोई भी अवैध अनैतिक धंधा नहीं पनप सकता यह सच है लेकिन नोटों की सौगात और मिल रही संसाधन से लैस व्यवस्था इनको अपनी ड्यूटी भूल कर दलाली के लिए नए चेहरा जिनकी और मिली भगत से सब व्यवस्था संचालित हो रहा है उसको अंजाम दिया जा रहा है ! सरकार को जल्दी चेतना होगा नहीं व्यवस्था को चुनौती देने वाले कोई और नहीं बल्कि सरकारी व्यवस्था में तैनात सिपाही आज समाज के लिए दुर्गंध और दुर्व्यवस्था का व्यापारी बन चुका है जिसका सिर्फ मात्र उद्देश्य कुर्सी बचाना और दलालों की सांठ गांठ से आम लोगों का गुमराह कर उनकी जीवन शैली को बर्बाद करना है !!
~ कृष्णा पंडित (वरिष्ठ पत्रकार)
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