मिर्जामुराद । स्थानीय थाना क्षेत्र के ग्राम सभा पूरे गांव शुक्रवार को दिव्यांग जनों के लिए कार्य करने वाली संस्था जन विकास समिति की ओर से दिव्यांग जन डिसेबल पिपल्स आर्गनाइजेशन (डीपीओ.) बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें ऐसे दिव्यांग जन जिनका मेडिकल प्रमाण पत्र 2010 के पहले का बना था। उनके मेडिकल प्रमाण पत्र का रेनुअल करानें हेतु आनलाईन पंजीकरण किया गया। वहीं कुछ लोगों का दिव्यांग जन विशिष्ट पहचान पत्र (यूडीआईडी कार्ड) हेतु आवेदन भी किया गया। इसके साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता विनोद कुमार ने सरकार द्वारा दिव्यांग जनों के लिए चलाए जा रहें विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। इस दौरान सामाजिक संस्था कस्तूरबा सेवा समिति से जुड़े अनिल कुमार, उर्मिला पटेल, पूजा एवं वसीम अंसारी ने सभी दिव्यांग जनों के आनलाईन आवेदन में सहयोग किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से जावेद अंसारी, जफरे आलम, साहीद, सोनी, शब्बो, परवीन, कमला शंकर, विरेन्द्र गुप्ता, शिवम मौर्या सहीत दर्जनों दिव्यांग ने भाग लिया।
आज भारत में बदलते समय के साथ हमारा आहार भी बदल रहा है। बाज़ार में कई प्रकार के व्यंजन एवं पेय पदार्थ हमें अपनी ओर आकर्षित करते हैं। चाहे बच्चे हो, युवा हो या वयस्क सब लोग भिन्न भिन्न प्रकार के व्यंजन का लुत्फ़ उठा रहे है पर सिर्फ़, जीभ के चलते हम अपने शरीर को अंदर से कितना खोखला कर रहे है। यह एक चिंतनीय विषय है। अगर वर्तमान समय में देखा जाये तो हमारे आस पास में अब पहले के तुलना में कई अधिक फ़ास्ट फ़ूड विक्रेता, फ़ूड स्टाल और रेस्तराँ खुल चुके है जहां हमें इटालियन से चाइनीज़ और मेक्सिकन से लेकर यूरोपियन ख़ान पान बहुत आराम से उपलब्ध हो जाता है और इन जगहों पर भीड़ हमे यह दर्शाता है की वाक़ई में अब हमारी ख़रीदने की क्षमता बहुत बढ़ चुकी हैं। बड़ी बड़ी पाश्चात्य कंपनियों का छोटे क़स्बो तक आउटलेट खुलना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। व्यापार के क्षेत्र में यह एक प्रशंसनीय पहल है पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह चिंतनीय है। आज आमजनों को कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स, फैट की जानकारी, या बिलकुल नहीं है या बहुत कम है, पर हमारे शरीर को इसकी जानकारी भरपूर है और अपने पाचनतंत्र के लिए वो इनकी भूमिका भी...
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