इरी-सार्क के वैज्ञानिको ने धान की नई और उन्नत प्रजातिओं का किया निरीक्षण :: Special Report -- Dainik Darpan
मिर्ज़ामुराद।अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय केंद्र, (इरी-सार्क) वाराणसी और कृषि विज्ञान केंद्र वाराणसी तथा एसएचडीए संस्था की टीम ने कृषि विज्ञान केंद्र, वाराणसी के ब्लॉक अराजीलाइन के गांव नागेपुर तथा कल्लीपुर में किसानों द्वारा परीक्षण के रूप में लगाए गए धान की नई और उन्नत किस्म की प्रजातिओं का निरीक्षण किया। इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र रघुवंशी, डॉ. अमितेश सिंह, डॉ. राहुल सिंह तथा श्री राणा पियूष के अलावा इरी-सार्क के डॉ. सर्वेश शुक्ला, रबीन्द्र महाराणा एवं एसएचडीए संस्था के सदस्य अभय तिवारी तथा गौरव शर्मा भी मौजूद रहे।
कृषि वैज्ञानिको ने किसानो के खेत में लगी विभिन्न प्रजातिओं का निरीक्षण करते हुए वहाँ पर उपस्थित किसानों को धान की उन्नत प्रजातिओं की विशेषिताओं को बताने के साथ ही धान में लगने वाले प्रमुख रोग और कीट अदि से रोकथाम के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
क्षेत्र भ्रमण के दौरान इरी के सर्वेश शुक्ला ने कम, मध्यम एवं विलम्ब अवधि की नई उच्च पैदावार युक्त बाढ़ प्रतिरोधी धान की विभिन्न किस्मों के बारे भी किसानों को विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की। उन्होंने प्रजातिओं का विश्लेषण करते हुए बताया कि इनमे से कुछ प्रजातियाँ बाढ़ प्रतिरोधी हैं और पानी में दो हफ्ते तक डूबे रहने के बावजूद भी अच्छी पैदावार देने की क्षमता रखती हैं। इनमे से कुछ प्रजातिओं के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए गांव के किसान काफी उत्साहित और प्रफुल्लित दिखे। चर्चा के दौरान वहाँ पर मौजूद किसानों ने अवगत कराया कि इस क्षेत्र के लिए मध्यम अवधि की उन्नत किस्में किसानों की पहली पसंद हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.नरेंद्र रघुवंशी ने किसानों को आश्वासन दिया कि इस क्षेत्र के लिए उपयुक्त प्रजातिओं का बीज तैयार कर इस क्षेत्र के किसानों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा। इरी और कृषि विज्ञान केंद्र, वाराणसी के इस संयुक्त प्रयास की डॉ. नरेंद्र रघुवंशी ने सराहना की । इरी और केवीके टीम ने कृषि विज्ञान केंद्र के फसल कैफेटेरिया में लगी हुई २६ उन्नत किस्म की विभिन्न प्रजातिओं का भी निरीक्षण किया। फसल कैफेटेरिया में लगी हुई कुछ प्रजातिआँ तनाव प्रतिरोधी (बाढ़ और सूखा), बायोफोर्टिफाइड, उन्नत और अधिक पैदावार युक्त हैं। डॉ. नरेंद्र रघुवंशी एवं डॉ. अमितेश सिंह ने बताया कि परिपक्क्वता अवस्था के समय फसल कैफेटेरिया में एक भागीदारी किस्म चयन कार्यक्रम कराया जायेगा जिसमे किसानों द्वारा प्रजातिओं का मूल्यांकन किया जायेगा। जिसके फलस्वरूप किसानो द्वारा चयनित प्रजातिओं को बीज श्रंखला प्रणाली में शामिल कर किसानो को बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए, इरी और कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से आने वाले समय में उन्नत एवं अधिक उपज वाली प्रजातिओं का परीक्षण, विकास और विस्तार किया जायेगा।
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय केंद्र वाराणसी के निदेशक डॉक्टर शुधांसु सिंह के नेतृत्व में बीज प्रणाली और उत्पाद प्रबंधन विभाग के तत्वाधान में संचालित कार्यक्रम, एग्री परियोजना के तहत वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. स्वाति नायक और वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. कुन्तल दास के मार्गदर्शन में जनपद वाराणसी में विभिन्न प्रजातिओं के कई प्रक्षेत्र परिक्षण विभिन्न इलाकों में क्रियान्वित किए जा रहे हैं इन परीक्षणों का मुख्या उद्देश्य जनपद के कृषि जलवायु के अनुकूल उचित प्रजातिओं का आंकलन करना है जिससे कि धान के उत्त्पादन को अधिक से अधिक बढ़ाया जा सके।
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