मिर्ज़ामुराद।क्षेत्र के कल्लीपुर ग्राम स्थित आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, कल्लीपुर, वाराणसी के द्वारा भारत की आज़ादी के 75 वें अमृत महोत्सव के तहत 16 अगस्त से 22 अगस्त 2022 को गाजर घास जागरूकता सप्ताह कार्यक्रम के अन्तर्गत केंद्र पर गाजर घास उन्मूलन तथा साथ ही साथ स्वछता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ने बताया कि केंद्र पर जहाँ कही भी गाजर घास दिखायी दें उसको तुरंत उखाड़ कर हटा दें। गाजर घास या 'चटक चांदनी' एक घास है जो बड़े आक्रामक तरीके से फैलती है। यह एकवर्षीय शाकीय पौधा है जो हर तरह के वातावरण में तेजी से उगकर फसलों के साथ-साथ मनुष्य और पशुओं के लिए भी गंभीर समस्या बन जाता है। इस विनाशकारी खरपतवार को समय रहते नियंत्रण में किया जाना चाहिए। गाजर घास का उपयोग अनेक प्रकार के कीटनाशक, जीवाणुनाशक और खरपतवार नाशक दवाइयों के र्निमाण में किया सकता है। इसकी लुग्दी से विभिन्न प्रकार के कागज तैयार किये जा सकते हैं। बायोगैस उत्पादन में भी इसको गोबर के साथ मिलाकर खाद बनाया जा सकता है। इस अवसर पर केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक नवीन सिंह, शस्य वैज्ञानिक अमीतेश, प्रसार वैज्ञानिक डॉक्टर राहुल, बीज वैज्ञानिक श्री प्रकाश, गृह वैज्ञानिक डॉक्टर प्रतीक्षा एवं केंद्र के समस्त कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया।
आज भारत में बदलते समय के साथ हमारा आहार भी बदल रहा है। बाज़ार में कई प्रकार के व्यंजन एवं पेय पदार्थ हमें अपनी ओर आकर्षित करते हैं। चाहे बच्चे हो, युवा हो या वयस्क सब लोग भिन्न भिन्न प्रकार के व्यंजन का लुत्फ़ उठा रहे है पर सिर्फ़, जीभ के चलते हम अपने शरीर को अंदर से कितना खोखला कर रहे है। यह एक चिंतनीय विषय है। अगर वर्तमान समय में देखा जाये तो हमारे आस पास में अब पहले के तुलना में कई अधिक फ़ास्ट फ़ूड विक्रेता, फ़ूड स्टाल और रेस्तराँ खुल चुके है जहां हमें इटालियन से चाइनीज़ और मेक्सिकन से लेकर यूरोपियन ख़ान पान बहुत आराम से उपलब्ध हो जाता है और इन जगहों पर भीड़ हमे यह दर्शाता है की वाक़ई में अब हमारी ख़रीदने की क्षमता बहुत बढ़ चुकी हैं। बड़ी बड़ी पाश्चात्य कंपनियों का छोटे क़स्बो तक आउटलेट खुलना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। व्यापार के क्षेत्र में यह एक प्रशंसनीय पहल है पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह चिंतनीय है। आज आमजनों को कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स, फैट की जानकारी, या बिलकुल नहीं है या बहुत कम है, पर हमारे शरीर को इसकी जानकारी भरपूर है और अपने पाचनतंत्र के लिए वो इनकी भूमिका भी...
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