मिर्ज़ामुराद। क्षेत्र के कल्लीपुर गांव आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, द्वारा “ गाजर घास जागरूकता सप्ताह” के अन्तर्गत गाजर घास उन्मूलन तथा साथ ही साथ स्वछता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र रघुवंशी ने बताया कि किसान भाईयों जहाँ कही भी गाजर घास दिखायी दें उसको तुरंत उखाड़ कर हटा दें। गाजर घास या 'चटक चांदनी' एक घास है जो बड़े आक्रामक तरीके से फैलती है। यह एकवर्षीय शाकीय पौधा है जो हर तरह के वातावरण में तेजी से उगकर फसलों के साथ-साथ मनुष्य और पशुओं के लिए भी गंभीर समस्या बन जाता है।
इस विनाशकारी खरपतवार को समय रहते नियंत्रण में किया जाना चाहिए। उन्होंने में बताया कि हालाँकि गाजर घास का उपयोग अनेक प्रकार के कीटनाशक, जीवाणुनाशक और खरपतवार नाशक दवाइयों के र्निमाण में किया सकता है। इसकी लुग्दी से विभिन्न प्रकार के कागज तैयार किये जा सकते हैं। बायोगैस उत्पादन में भी इसको गोबर के साथ मिलाकर खाद बनाया जा सकता है। इस अवसर पर केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक नवीन सिंह, शस्य वैज्ञानिक अमीतेश, प्रसार वैज्ञानिक डॉक्टर राहुल, बीज वैज्ञानिक श्री प्रकाश, गृह वैज्ञानिक डॉक्टर प्रतीक्षा एवं केंद्र के समस्त कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया।
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