मिर्ज़ामुराद वाराणसी (दैनिक दर्पण: वाराणसी) । स्थानीय क्षेत्र के कल्लीपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र रघुवंशी जी के दिशा निर्देश में केंद्र के बीज प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक श्रीप्रकाश सिंह ने बताया की धान की नर्सरी की बुवाई चल रही है। किसान भाई धान की उन्नतशील प्रजाति का चयन कर नर्सरी डालें। धान की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों में नरेंद्र 118, नरेंद्र 80, नरेंद्र एक, नरेंद्र 97, मालवीय धान 2, नरेंद्र लालमति, सीओ 51, मध्यम देर से पकने वाली प्रजातियों में पंत धान 4, सरजू 52, पंत धान 10, मालवीय धान एक, मालवीय धान 36, नरेंद्र धाम 2064, नरेंद्र धान 2065, देर से पकने वाली प्रजातियों में महसूरी, सांभा म हसूरी, शियाट्स धान 3 तथा सुगंधित धान की प्रजातियों में टाइप 3, कस्तूरी, पूसा बासमती 1, तारावडी बासमती, बासमती 370, नरेंद्र सुगंध, पूसा बासमती 1637, पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1728, उस रिले क्षेत्रों हेतु ऊसर धान 1, नरेंद्र ऊसर धान 2, नरेंद्र ऊसर धान 3, सीएसआर 10, सी एस आर 30, सी एस आर 36, सीएसआर 13, नरेंद्र ऊसर धान 2008, नरेंद्र ऊसर धान 2009, सीएसआर 60 नीचले एवं जलभराव वाले क्षेत्रों के लिए स्वर्णा माहसूरी, जलमग्न, जल लहरी, मधुकर, नरेंद्र जीआर 201, स्वर्णा सब 1, नरेंद्र जल पुष्प आदि हैं। 1 एकड़ क्षेत्रफल में धान की रोपाई के लिए 350 से 400 वर्ग मीटर क्षेत्रफल ने नर्सरी तैयार की जाती है। 1 एकड़ क्षेत्रफल में रोपाई हेतु महीन धान की 12 किलोग्राम मात्रा, मध्यम धान की 14 किलोग्राम और मोटे धान की 16 किलोग्राम बीज की मात्रा पौध तैयार करने के लिए पर्याप्त होती है। ऊसर भूमि में यह मात्रा सवा गुनी कर देना चाहिए। नर्सरी की तैयारी करते समय 4.5 किलोग्राम डीएपी तथा 7 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग करें। नर्सरी डालने से पूर्व बीज का शोधन अवश्य करें। इसके लिए जहां पर जीवाणु झुलसा या जीवाणु धारी रोग की समस्या हो वहां पर स्ट्रैप्टो माई सीन सल्फेट 90 प्रतिशत तथा टेटरासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत की 2 ग्राम मात्रा को प्रति 12 किलोग्राम बीज की दर से 50 लीटर पानी में मिलाकर रात भर भिगो दें। दूसरे दिन छाया में सुखा कर नर्सरी डालें। यदि जीवाणु झुलसा की समस्या क्षेत्र में नहीं है तो बीज को रात भर पानी में भिगोने के बाद, दूसरे दिन पानी से निकालकर 2 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से 5 लीटर पानी में घोल बनाकर बीज में मिला दिया जाए। इसके बाद छाया में अंकुरण करके नर्सरी में बुवाई करें। बीज शोधन हेतु जैव फफूंदी नाशक ट्राइकोडरमा पाउडर 5 ग्राम मात्रा प्रति किलोग्राम बीज की दर से प्रयोग किया जाए। ट्राइकोडर्मा पाउडर का छिड़काव नर्सरी लगाने के 10 दिन के अंदर कर देना चाहिए। बुवाई के 10 से 14 दिन बाद एक सुरक्षात्मक छिड़काव रोगों और कीटों से बचाव हेतु करें। खैरा रोग के नियंत्रण के लिए 70 ग्राम जिंक सल्फेट व 300 ग्राम यूरिया को प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर पहला छिलका बुवाई के 10 दिन के बाद एवं दूसरा बुवाई के 20 दिन बाद करना चाहिए। सफेदा रोग के नियंत्रण हेतु 60 ग्राम फेरस सल्फेट व तीन सौ ग्राम यूरिया को प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। नर्सरी में लगने वाले कीड़ों की रोकथाम के लिए क्लोर पाइरी फास 20 ईसी की सवा मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
Special Report : दैनिक दर्पण:वाराणसी
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