कृषि विज्ञान केन्द्र, वाराणसी पर बीज उत्पादन तकनीक विषय पर पाँच दिवसीय व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ सफल समापन
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, कल्लीपुर, वाराणसी में दलहन बीज उत्पादन तकनीक विषय पर पाँच दिवसीय व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ. प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री अश्वनी कुमार सिंह, जिला उप कृषि निदेशक, वाराणसी ने बीज उत्पादन कार्यक्रम लेने वाले कृषकों को राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम, कृषि विश्वविद्यालय या मान्यता प्राप्त संस्थान के वितरण केन्द्रों से बीज उत्पादन हेतु आधार या प्रमाणित श्रेणी का बीज क्रय करना होता है, एवं फसल का राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था में करने हेतु निर्धारित शुल्क समय सीमा में जमा करना होता है। पंजीयन हेतु आवेदन पात्र के साथ बीज क्रय किये गए संस्थान के देयक, कैश मेमो तथा टैग आदि संलग्न करना आवश्यक है।
शस्य वैज्ञानिक डॉ. अमितेश सिंह ने बताया कि प्रमाणित बीज अनुवांशिक एवं भौतिक रूप से शुद्ध होते है, तथा इन पौधों में एकरूपता, गुणों में समानता एवं पकने की अवधि एक पाई जाती है। बीज की अंकुरण क्षमता मानकों के अनुरूप होती है। बीज की जीवन क्षमता उत्तम होती है। तथा पुष्ट भरा एवं चमकदार होता है। प्रमाणित बीज के उपयोग से सामान्य बीज की उपेक्षा उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है। ऐसा बीज जो भारत सरकार द्वारा निर्धारित भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानकों की पालन करते हुए राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणित किये जाते हैं, वेह प्रमाणित बीज कहलाते हैं। बीज तकनीकी वैज्ञानिक श्रीप्रकाश सिंह ने बताया की बीज प्रमाणीकरण के लिए फसल उगाते समय प्रत्येक उत्पादक कृषक के लिए यह आवश्यक है :
खेत में बोई गयी फसल एक ही किस्म की हो। मिश्रित खेती स्वीकृत नहीं होगी। खेत में एक ही श्रेणी तथा एक ही वंशानुगत पीढ़ी का बीज बोया गया हो।
पूरे खेत में फसल की आयु एवं बाढ़ समान हो। अन्य फसलें अथवा किस्मों के क्षेत्र के बीज बिर्धरित मानक अनुसार पर्याप्त पृथककरण दूरी पर बोई गयी हो।
संकर किस्मों के बेजोत्पदन में नर एवं मादा पौधों की अलग अलग पंक्तियाँ लगायी जाएँ तथा निर्धारित अनुपात (4:2) होना चाहिए। फसल को यथासंभव रोग एवं कीटों से सुरक्षित रखें। अन्य बातें जो बीज के स्तर पर बुरा प्रभाव दल सकती हैं, उनका हर संभव निराकरण करने का प्रयास करें ताकि बीज वांछित गुणवत्तापूर्ण स्तर का प्राप्त हो सके। फसलों के पुष्पन अथवा कटाई पूर्व, खरपतवार एवं विभिन्न पौधों को खेत से पृथ्यक करना आवश्यक है केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र रघुवंशी ने किसानों को दलहन बीज उत्पादन तकनीकी आभार प्रकट किया तथा नवनियुक्त वैज्ञानिकों के प्रति शुभकामना व्यक्त करते हुए जनपद की खेती किसानी की व्यवस्था में शत प्रतिशत योगदान देने की बात कही। डॉक्टर सिंह ने कहा की सभी वैज्ञानिकों के रिक्त पद भरे जाने से कृषि विज्ञान केंद्र, वाराणसी पूरी क्षमता के साथ कृषि कार्यक्रमों को तेज़ी से आगे बढ़ा सकेगा।
इस अवसर पर केंद्र के पादप रोग के वरिष्ठ वैज्ञानिक ड़ॉ. नवीन कुमार सिंह, उद्यान वैज्ञानिक डॉ. मनीष पाण्डेय, क़ृषि विस्तार वैज्ञानिक ड़ॉ राहुल कुमार सिंह, गृह वैज्ञानिक ड़ॉ प्रतिक्षा सिंह इत्यादि उपस्थित रहे।
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